Duration 2:31

Sharad purnima vrat katha | शरद पूर्णिमा व्रत कथा | Sharad Poornima fast story in Hindi

88 841 watched
0
220
Published 29 Oct 2014

Sharad purnima vrat katha, शरद पूर्णिमा व्रत कथा, Sharad Poornima fast story in Hindi आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्यौहार शरद पूर्णिमा (Sharad Poornima) की कथा कुछ इस प्रकार से है- एक साहूकार के दो पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी, परन्तु बड़ी पुत्री विधिपूर्वक पूरा व्रत करती थी जबकि छोटी पुत्री अधूरा व्रत ही किया करती थी। परिणामस्वरूप साहूकार के छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से अपने संतानों के मरने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पहले समय में तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत किया करती थी, जिस कारणवश तुम्हारी सभी संतानें पैदा होते ही मर जाती है। फिर छोटी पुत्री ने पंडितों से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि यदि तुम विधिपूर्वक पूर्णिमा का व्रत करोगी, तब तुम्हारे संतान जीवित रह सकते हैं। साहूकार की छोटी कन्या ने उन भद्रजनों की सलाह पर पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक संपन्न किया। फलस्वरूप उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई परन्तु वह शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। तब छोटी पुत्री ने उस लड़के को पीढ़ा पर लिटाकर ऊपर से पकड़ा ढ़क दिया। फिर अपनी बड़ी बहन को बुलाकर ले आई और उसे बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब पीढ़े पर बैठने लगी तो उसका घाघरा उस मृत बच्चे को छू गया, बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा। बड़ी बहन बोली- तुम तो मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से तो तुम्हारा यह बच्चा यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली- बहन तुम नहीं जानती, यह तो पहले से ही मरा हुआ था, तुम्हारे भाग्य से ही फिर से जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। इस घटना के उपरान्त ही नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढ़िंढ़ोरा पिटवा दिया। Subscribe our channel : /user/Indiawale Visit our website: http://www.babynamezone.net

Category

Show more

Comments - 10